NEET Counselling 2025: नीट काउंसलिंग में इन्हें मिलेगा मौका, यहां से जाने पूरी प्रक्रिया

नीट काउंसलिंग 2025 की प्रक्रिया जल्द शुरू होने वाली है। यह मेडिकल और डेंटल कोर्स में दाखिले के लिए बहुत जरूरी है। नीट (नेशनल एलिजिबिलिटी कम एंट्रेंस टेस्ट) पास करने वाले छात्र इस प्रक्रिया में हिस्सा ले सकते हैं। काउंसलिंग के जरिए छात्रों को एमबीबीएस, बीडीएस और अन्य मेडिकल कोर्स में सीटें मिलती हैं। यह प्रक्रिया मेडिकल काउंसलिंग कमेटी (एमसीसी) द्वारा आयोजित की जाती है। इसका पूरा शेड्यूल एमसीसी की आधिकारिक वेबसाइट पर उपलब्ध होगा।
नीट काउंसलिंग दो स्तरों पर होती है। पहला है ऑल इंडिया कोटा (एआईक्यू) और दूसरा है स्टेट कोटा। ऑल इंडिया कोटा के तहत 15% सीटें केंद्र सरकार के अधीन कॉलेजों में भरी जाती हैं। बाकी 85% सीटें राज्य सरकारें अपने स्तर पर भरती हैं। डीम्ड यूनिवर्सिटी और सेंट्रल यूनिवर्सिटी की 100% सीटें एमसीसी के जरिए भरी जाती हैं। इसमें बीएचयू, एएमयू, दिल्ली यूनिवर्सिटी और ईएसआईसी जैसे संस्थान शामिल हैं।
काउंसलिंग में हिस्सा लेने के लिए छात्रों को नीट 2025 में न्यूनतम अंक हासिल करने होंगे। सामान्य वर्ग के लिए कट-ऑफ 50 परसेंटाइल है। एससी, एसटी और ओबीसी वर्ग के लिए यह 40 परसेंटाइल है। पीडब्ल्यूडी उम्मीदवारों के लिए भी अलग कट-ऑफ होती है। जो छात्र इस कट-ऑफ को पार करते हैं, वे काउंसलिंग के लिए पात्र होते हैं।
काउंसलिंग की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन होती है। सबसे पहले छात्रों को एमसीसी की वेबसाइट पर रजिस्ट्रेशन करना होता है। रजिस्ट्रेशन के लिए नीट रोल नंबर, रजिस्ट्रेशन नंबर, नाम, माता का नाम और जन्म तिथि जैसी जानकारी देनी होती है। इसके बाद काउंसलिंग शुल्क जमा करना होता है। सामान्य वर्ग के लिए शुल्क 1000 रुपये और आरक्षित वर्ग के लिए 500 रुपये है। एक सिक्योरिटी फीस भी देनी होती है, जो बाद में वापस हो सकती है।
रजिस्ट्रेशन के बाद छात्रों को अपने पसंदीदा कॉलेज और कोर्स चुनने होते हैं। इसे चॉइस फिलिंग कहते हैं। छात्रों को सलाह दी जाती है कि वे अपनी पसंद को ध्यान से चुनें। चॉइस फिलिंग के बाद लॉकिंग की प्रक्रिया होती है। अगर छात्र अपनी पसंद लॉक नहीं करते, तो सिस्टम अपने आप लॉक कर देता है। इसके बाद सीट आवंटन होता है। यह रैंक, पसंद और सीटों की उपलब्धता पर आधारित होता है।